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Writer's pictureRachita Biswas

भारती दयाल:मधुबनी कला पर प्रभुत्व

Updated: Jul 15, 2022


आधुनिक युग में प्राचीन कला और संस्कृति को नवीन आयाम मिला है। 'भारती दयाल ' ऐसी ही एक मिसाल है जिन्होंने मधुबनी जैसी अलौकिक कला को जिवित रखने का काम किया है।
भारती दयाल:मधुबनी कला

भारती दयाल का जन्म उत्तरी बिहार के दरभंगा जिले के समस्तीपुर में १९६१ को हुआ था। दरभंगा जिला अर्थात मिथिला मंडल मधुबनी लोक चित्रकला के लिए प्रचलित है और शायद क्षेत्र का ही असाध्य प्रभाव और अमिट छाप भारती दयाल के उत्कृष्ट कला में पङा है।


वैसे तो भारती दयाल ने प्रारंभिक उच्च शिक्षा और मास्टर डिग्री विज्ञान में प्राप्त किया था लेकिन अपने खाली समय में उनका खासा वक्त चित्रकारी को समर्पित रहता था।

शुरूआती दिनों से ही भारती जी ने अपनी माता, दादी और बाकी बङो से मधुबनी कला सीखना प्रारंभ कर दिया था।


भारती दयाल:मधुबनी कला

दिवार और जमीन में महाकाव्य के दृश्य का प्रारूप बनाकर अथवा कागज, कैनवास तथा सुती या रेशम कपड़ों में प्राकृतिक रंगों की सहायता से चित्रकारी करके वह अपने हुनर को और तराश प्रखर बनाती रही।

निरंतर अभ्यास और अपने कला के प्रति पाक समर्पण से ही भारती दयाल की शैली अनुठी बन पाई है।


भारती दयाल:मधुबनी कला

चमकीले तथा आकर्षित रंगों तथा प्रगाढ़ आकृति के लिए प्रसिद्ध भारती दयाल की चित्रकलाएं मन में ताजगी और मधुर भाव की उत्पत्ति करती है और साथ ही लोक कला के रूप में लोक संस्कृति का दार्शनिक चित्रण करती है।

उनके ज्यादातर कार्यों में राधा कृष्ण तथा अन्य देवी देवताओं ,मुलतः वह जिन्हें मिथिला क्षेत्र में अधिक पुजा जाता है का चित्रण प्रत्यक्ष है। बिहार की बेटी और अद्भुत कला के मेल को प्रदर्शनी के जरिये अंतर्राष्ट्रीय एंव राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिला है ।


भारती दयाल:मधुबनी कला

सन् १९९१ से उनके अनेकों चित्रकला को बहुत सारी प्रदर्शनी में देखा गया है। बिहार पैविलियन, भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला और फ्रेंच टेलीविजन, डिस्कवरी चैनल जैसे बङे मंच में भी भारती दयाल के चित्रों को उपस्थिति दर्ज करने का विराट अवसर मिला है।


'द न्यू बिहार' में भारती दयाल के सात चित्रों को सम्मिलित किया गया है।

बुक कवर के चित्रण में एक बच्ची को साइकिल चलाते हुए चित्रित किया गया है जो महिला सशक्तिकरण को दर्शाता है और वही मछली 'सदाबहार कृषि' की द्योतक है।


'द न्यू बिहार' में भारती दयाल के सात चित्रों को सम्मिलित किया गया है।

सदाबहार कृषि ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी की बढ़ोतरी करने हेतु पहल है जो कि वाकई मे तारीफ और प्रचार के काबिल है।

साहित्यकार नंद किशोर सिंह तथा निकोलस स्टर्न ने अपनी रचनाओं में इस बात का वर्णन किया है कि कैसे दयाल पारंपरिक तरीकों को समकालीन विषय पर प्रयोग कर न सिर्फ जरूरी मुद्दों को उजागर करती है बल्कि मधुबनी कला को पुनरजीवन भी प्राप्त हुआ है।

संघर्षशील लोक कलाकारों का मार्गदर्शन और सहायता करने का उल्लेखनीय कार्य करके दयाल ने मधुबनी कला को निसंदेह नई पीढ़ी के रूप में उत्तराधिकारी दिया है।


 'सदाबहार कृषि

मिलेनियम आर्ट अवार्ड्स, 'एआईएफएसीएस ' तथा अन्य स्मरणीय पुरस्कारों से पुरस्कृत दयाल आज भी अपने कला के प्रति निष्ठावान है और दिल्ली में अपने घर से स्टूडियो चलाती हैं।

ग्रामीण महिलाओं के लोक कला को बढ़ावा देकर मधुबनी कला को नई उङान देने के साथ ही महिला सशक्तिकरण का महत्व भी समझाया है।

कला के सभी उपासकों के लिए भारती दयाल मिसाल है।

मिलेनियम आर्ट अवार्ड्स, 'एआईएफएसीएस '

Author: Tanya Saraswati Editor: Rachita Biswas


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